Monday, June 13, 2011

कांग्रेस का साम्प्रदायिक कार्ड


सरकार प्रायोजित भ्रष्टाचार के विरुद्ध कांग्रेस के ''आम आदमी'' ने बिगुल फूँक दिया है. भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं योग गुरु बाबा रामदेव और अन्ना हजारे. यह लड़ाई  बाबा रामदेव और अन्ना हजारे की  ही नहीं भ्रष्टाचार से त्रस्त समस्त भारतीयों की लड़ाई है. बाबा रामदेव के सत्याग्रह और अन्ना की मुहीम से उजागर हुए भ्रष्टाचारी चेहरे को बचाने के लिए सरकार ने बचकानी राजनीति करनी शुरू कर दी है. केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी ने अब कोई रास्ता न देख रामदेव और अन्ना के आन्दोलन को संघ की साजिश बताया है. कांग्रेस पार्टी हमेशा ही अपने को घिरता देख साम्प्रदायिक कार्ड खेलती रही है. कांग्रेस पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह साम्प्रदायिक राजनीति के बड़े खिलाडी माने जाते हैं. जिनकी नजर में बाबा रामदेव महाठग हैं लेकिन लादेन एक सम्मानित व्यक्ति है. दिग्गी राजा जैसे चेहरों को आगे कर कांग्रेस पार्टी अपने साम्प्रदायिक एजेंडे को आगे बढाती रही है. कांग्रेस पार्टी अपने को घिरता देख किसी भी मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास करती है.
                                               भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरी कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से साम्प्रदायिक एजेंडे को बढ़ाने का विफल प्रयास किया है. कांग्रेस ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों को संघ की साजिश बताया है. कांग्रेस पार्टी को यह बताना ही चाहिए की भ्रष्टाचार के मुद्दे के बीच में साम्प्रदायिकता ने कैसे अपनी टांग अड़ा दी है? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसे कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यकों के लिए खतरा बताती है, उसको इस बात का जवाब देना चाहिए की देश में हुए भ्रष्टाचार से क्या केवल हिन्दुओं का ही अहित है? सरकार प्रायोजित भ्रष्टाचार को साम्प्रदायिक एजेंडे से नहीं छिपाया जा सकता है. जनहितकारी आंदोलनों को यदि संघ का समर्थन प्राप्त होता है तो किसी को क्या आपत्ति हो सकती है. लेकिन कांग्रेस पार्टी को आपत्ति है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी का भ्रष्टाचार जो उजागर हो रहा है. ध्यान रहना चाहिए की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जेपी आन्दोलन को भी अपना पूर्ण समर्थन दिया था. इस आन्दोलन की सफलता ने भारत में लोकतंत्र को पुनर्जीवित किया था. ऐसा ही माहौल एक बार फिर तैयार हो रहा है, जिसे संघ का भी समर्थन प्राप्त है. रामदेव और अन्ना के आन्दोलन को संघ के समर्थन ने सरकार की नींद उड़ा दी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अल्पसंख्यकों के लिए खतरा बता कर सरकार अपने को बचा नहीं  सकती है. देशहित के मुद्दों पर आन्दोलन करने और समर्थन करने का हक सभी को है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी है.
                                        कांग्रेस पार्टी की भ्रष्टाचारी सरकार संघ को ढाल बनाकर अपनी साख नहीं बचा सकती है. जनहित के मुद्दे संघ उठाये या समाज का कोई अन्य वर्ग सरकार को जवाब देना ही होगा.भ्रष्टाचार किसी एक सम्प्रदाय विशेष की समस्या नहीं है, यह समस्त भारतीयों की समस्या है. स्विस बैंकों में जमा काला धन भी किसी सम्प्रदाय विशेष का धन नहीं राष्ट्र की संपत्ति है.कांग्रेस पार्टी को यदि इसमें भी साम्प्रदायिकता दिखाई देती है, तो यह उसके मानसिक दीवालिएपन का परिचायक है. भ्रष्टाचार के मुद्दे को साम्प्रदायिकता का नाम नहीं दिया जा सकता है. कांग्रेस पार्टी को इस प्रकार के कुत्सित प्रयासों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. केंद्र सरकार का सिंहासन हिलने लगा है,सरकार के प्रति आम जनता का आक्रोश सतह पर आ गया है. भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन अब यूपीए-२ के पटाक्षेप के बाद ही समाप्त होगा, जिसे अब और नहीं टाला जा सकता है.