Tuesday, August 9, 2011

हिंद स्वराज की अनंत यात्रा



महात्मा गाँधी की अमर कृति हिंद स्वराज की विभिन्न लेखकों और विद्वानों ने समय-समय पर समीक्षा की है. हिंद स्वराज वह ग्रन्थ है, जिसमें महात्मा गाँधी ने तत्कालीन समय में भविष्य के भारत का खाका प्रस्तुत किया था. लेकिन स्वतंत्रता के उपरांत भारत की राजसत्ता ने हिंद स्वराज की नैतिकता और नीति को नकार दिया. वर्तमान समय का भारत उसी परिस्थिति में जा पहुंचा है जिसे महात्मा गाँधी भारत के स्थायी विकास के लिए उपयुक्त नहीं मानते थे. ऐसी परिस्थिति में जब उच्चतर मूल्यों का अँधेरा ही अँधेरा है, तब हिंद स्वराज इस अँधेरे में प्रकाश पुंज के समान है. हिंद स्वराज की प्रासंगिकता को जीवंत बनाये रखने का प्रयास करते हुए अजय कुमार उपाध्याय ने हिंद स्वराज की अनंत यात्रा पुस्तक की रचना की है. इस पुस्तक में हिंद स्वराज की समीक्षा के साथ-साथ तत्कालीन घटनाक्रम का भी वर्णन किया गया है. जिसके माध्यम से हमें तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और स्वाधीनता आन्दोलन के घटनाक्रम को समझने में सहायता मिलती है.

हिंद स्वराज की अनंत यात्रा के माध्यम से लेखक ने लन्दन में महात्मा गाँधी और क्रांतिकारियों के संबंधों के बारे में बताया है. लन्दन के घटनाक्रम ने ही महात्मा गाँधी को हिंद स्वराज लिखने के लिए प्रेरित किया था. इस पुस्तक में हिंद स्वराज की उस अनंत यात्रा का वर्णन है जो महात्मा गाँधी के भारत आने के बाद अनवरत चलती रही. इसमें महात्मा गाँधी द्वारा सत्याग्रह, असहयोग, हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रयासों और उसके इतिहास तथा पृष्ठभूमि का स्पष्ट वर्णन है. तत्कालीन कांग्रेस की स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिका, बंग-भंग और राष्ट्रीय पुनर्जागरण पर भी इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है. खिलाफत आन्दोलन के माध्यम से मुस्लिमों के बढ़ते तुष्टिकरण और उसके दुष्प्रभावों पर भी इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है. हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रयासों के असफल होने के पश्चात् महात्मा गाँधी की निराशा के बारे में भी लेखक ने तथ्यपूर्ण जानकारी दी है. सविनय अवज्ञा आन्दोलन, द्वितीय गोलमेज सम्मलेन के घटनाक्रम का भी पुस्तक में तथ्यपूर्ण वर्णन है. द्वितीय विश्व युद्ध का भारत के स्वाधीनता आन्दोलन पर क्या प्रभाव पड़ा इसकी भी इस पुस्तक में तथ्यपूर्ण जानकारी है.

हिंद स्वराज को लेकर महात्मा गाँधी और पंडित नेहरु के मतभेदों की भी इस पुस्तक में अकाट्य तथ्यों के माध्यम से जानकारी दी गयी है. भारत की स्वाधीनता से पूर्व भारत विभाजन की पटकथा लिखे जाने की भी सटीक जानकारी इस पुस्तक से मिलती है. विभाजन के समय के समय भड़के दंगों के समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा कार्यों की भी इस पुस्तक में जानकारी दी गयी है. लेखक ने हिंद स्वराज की अनंत यात्रा के माध्यम से महात्मा गाँधी के लन्दन प्रवास से लेकर उनकी हत्या तक के काल के घटनाक्रम को प्रस्तुत किया है. यह पुस्तक वर्तमान परिस्थितियों में हिंद स्वराज और महात्मा गाँधी के अनंत सन्देश को प्रचारित और प्रसारित करने का एक सुन्दर प्रयास है.

No comments:

Post a Comment