Friday, November 11, 2011

विकिलीक्स को बचा लो…

हमारी लड़ाई महत्वपूर्ण है। हमें आपके सहयोग की बहुत आवश्यकता है। यह अपील है विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे की। जिन्होंने दूतावासों के गुप्त दस्तावेजों को उजागर कर समस्त विश्व को अमेरिकी कूटनीति का परिचय कराया था। विकिलीक्स ने वैसे तो इससे पहले सन् 2007 में ग्वांटनामो बे जेल की बर्बरता की आधिकारिक रिपोर्ट को लीक करके ही सनसनी फैला दी थी। विकिलीक्स की सनसनीखेज पत्रकारिता का दौर तो तब शुरू भी नहीं हुआ था। यह दौर तो नवंबर 2010 में शुरू हुआ जब विकिलीक्स ने अमेरिकी कूटनीति से संबंधित डाटा केबलों का प्रकाशन प्रारंभ किया। इसके साथ ही विकिलीक्स के लिए मुसीबतों की भी शुरूआत हो गई, अमेरिकी सरकार की नाराजगी के कारण असांजे को बहुत दिनों तक गुप्त स्थानों पर रहना पड़ा और विभिन्न मुकदमों का भी सामना करना पड़ा।

इस सबके बावजूद जूलियन असांजे अपने कार्य को लगातार अंजाम देते रहे, लेकिन अब उनकी वेबसाइट गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही है। दरअसल जब अमेरिकी सरकार असांजे को कानूनी शिकंजे में नहीं फंसा पाई तो उसने उसके अस्तित्व को मिटाने के लिए उसके आर्थिक स्त्रोतों पर लगाम लगानी प्रारंभ की। अमेरिकी दबाव के फलस्वरूप विकिलीक्स की आय के प्रमुख स्त्रोत वीजा, मास्टरकार्ड और एप्पल ने उसके हाथ से छीन लिया। गौरतलब है कि वीजा और मास्टरकार्ड का यूरोप के 97 प्रतिशत कार्ड बाजार पर कब्जा है, इन कंपनियों के हाथ खींच लेने के कारण विकिलीक्स आर्थिक संकट से घिर गई।

विकिलीक्स ने अपनी वेबसाइट में जानकारी दी है कि अमेरिकी सरकार ने उसके विज्ञापनदाताओं पर ही शिकंजा नहीं कसा, बल्कि जिन समाचारपत्रों ने विकिलीक्स के केबलों को प्रकाशित किया था उनको मिलने वाले विज्ञापनों पर भी रोक लगा दी। विकिलीक्स के आर्थिक स्त्रोतों पर अमेरिकी दबाव के कारण विकिलीक्स की आय में 95 प्रतिशत तक कमी आई है।

विकिलीक्स के मुताबिक ‘‘विज्ञापनदाता कंपनियों के हाथ खींच लेने के कारण हमारी आय में 95 प्रतिशत तक की कमी आई है, आर्थिक मदद न मिलने के कारण हम पिछले 11 माह से पूर्व में प्राप्त आय से ही वेबसाइट का संचालन कर रहे हैं। यदि इसी तरह चलता रहा तो हमें 2011 के अंत तक विकिलीक्स को बंद करना पड़ सकता है।”

हालांकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायोग ने विकिलीक्स के प्रति अमेरिकी रवैये की निंदा की है, परंतु अमेरिका को उसकी फिक्र कहां है। विकिलीक्स के प्रति अमेरिकी रवैया यह सवाल खड़ा करता है कि क्या अमेरिका मीडिया का भी वैश्विक नियंता बन चुका है। विकिलीक्स के खुलासों को बेशक कुछ पत्रकार पत्रकारिता के आदर्शों से परे मानते हों, लेकिन उसने खोजी पत्रकारिता को एक नया आयाम अवश्य दिया है।

विकिलीक्स ने पत्रकारिता में एक नई पहल की विकिलीक्स से पहले खोजी पत्रकारिता का स्तर राष्ट्र से परे नहीं था, जिसे जूलियन असांजे ने वैश्विक रूप प्रदान किया। जूलियन असांजे ने अपनी अपील में कहा है कि यदि आप लोगों की मदद नहीं मिली और आर्थिक संकट बरकरार रहा तो हमें साल के अंत तक विकिलीक्स का प्रकाशन बंद करना पड़ेगा। यानि विकिलीक्स पत्रकारिता जगत से जल्द ही विदाई ले सकती है।

विकिलीक्स जो प्रकाशन के दौरान विवादों और सवालों के घेरे में रही जाते-जाते भी कई सवाल खड़े कर जाएगी। जैसे क्या दान के बल पर चलने वाले पत्रकारिता संस्थान कभी भी कुछ लोगों की नाराजगी के कारण बंद हो सकते हैं? इसके साथ मीडिया के लिए यह भी एक संदेश है कि पूरी तरह विज्ञापनदाताओं पर ही आधारित होकर पत्रकारिता के मिशन को पूरा नहीं किया जा सकता है।

विकिलीक्स को जनता से कितना सहयोग मिलता है और कब तक उसका संचालन हो पाता है यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन विकिलीक्स जैसी मुसीबतों का सामना कोई और पत्रकारिता संस्थान करे। उससे पहले मीडिया जगत को आत्मावलोकन अवश्य करना चाहिए।

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