Saturday, January 7, 2012

"हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे"- भाजपा

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरी माया सरकार ने पिछले दिनों अपने कई मंत्रियों की छुट्टी कर दी। माया सरकार ने चुनावी रणनीति को ध्यान में रखते हुए अपने दागी मंत्रियों को सरकार ही नहीं पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखाना शुरू किया है। बसपा सुप्रीमो ने अपने कुल 19 मंत्रियों को लोकायुक्त की सिफारिश पर अथवा चुनावी लिहाज से बर्खास्त किया। इनमें कई मंत्रियों को माया के पुराने सिपहसालारों में गिना जाता है, जिसमें प्रमुख हैं पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा। जाहिर, है मायावती के सिपहसालार की छुट्टी होती है तो यह बड़ी खबर अवश्य होगी। बड़ी खबर बनी भी, लेकिन बाबू सिंह की छुट्टी से ज्यादा बड़ी खबर बनी बाबूसिंह के भाजपा में शामिल होने की घटना।

वह मंत्री जिसके भ्रष्टाचार की गाथा भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा थी, वही भ्रष्ट भाजपा में ही शामिल हो जाए तो बड़ी खबर तो बननी ही थी। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी जिसे पार्टी विद ए डिफरेंस भी कहा जाता है, लगता है वह डिफरेंट ही नहीं करप्ट भी हो गई है। ऐसे समय में जब पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। मुददा भ्रष्टाचार और सुशासन का हो तब बाबू जी जैसी छवि के लोगों को पार्टी में लाना समझ से परे है।

बाबू सिंह को भाजपा ने शामिल तो कर लिया लेकिन अब बाबू सिंह भाजपा के गले की हड्डी बन चुके हैं। जिसे न पार्टी उगल पा रही है और न ही निगल पा रही है। यह चुनाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब सभी पार्टियां देश के माहौल को देखते हुए साफ-सुथरी छवि के नेताओं पर ही दांव खेल रही, तब भाजपा में भ्रष्टों का शामिल होना हतप्रभ करता है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर देश भर में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बने माहौल का फायदा उठाने से भाजपा चूक गई है, साथ ही पार्टी ने अपनी किरकिरी भी कराई है।

अन्ना फैक्टर और कांग्रेस के खिलाफ बने माहौल का फायदा उठाने की बजाय भाजपा ने अपने पैरों में ही कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। दरअसल, पार्टी ने हमेशा ही उस वक्त पर गलत निर्णय लिया है, जब सही फैसलों की दरकार पार्टी को सबसे ज्यादा थी। चाहे पूर्व में उत्तर प्रदेश में बसपा को समर्थन देने का मामला हो, झारखण्ड में जोड़-तोड़ की सरकार बनाना हो या येदियुरप्पा के मामले में देर से निर्णय पार्टी नेतृत्व ने अपरिपक्वता का ही परिचय दिया है।

भाजपा नेतृत्व द्वारा दागी छवि के नेताओं को शरण देने का निर्णय यूपी एवं अन्य चार राज्यों के चुनाव में पार्टी की करारी हार के रूप में फलीभूत हो सकता है।

भारतीय जनता पार्टी को आने वाले चुनावों के लिए शुभकामनायें...

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